विवेक कुमार यादव । ब्युरो । बिहार /झारखंड ।
मुंगेर में थाना के साये में बर्बरता: हरिनमार में एक ही परिवार पर जानलेवा हमला, पुलिस की अनदेखी से अपराधियों के हौसले बुलंद।
— बिहार प्रशासन और सरकार की संवेदनहीनता पर उठे गंभीर सवाल
मुंगेर, बिहार।
बिहार में “सुशासन बाबू” की सरकार होने का दावा कितना खोखला है, इसका जीता-जागता उदाहरण मुंगेर जिले के हरिनमार थाना क्षेत्र में देखने को मिला, जहाँ एक ही परिवार पर दर्जनों हथियारबंद अपराधियों ने जानलेवा हमला कर उन्हें अधमरा कर दिया। हमले में न सिर्फ घर में घुसकर मारपीट की गई, बल्कि दस राउंड से अधिक फायरिंग कर पूरे इलाके में दहशत फैला दी गई। पीड़ित परिवार के अनुसार, वे कई बार थाने और पुलिस अधीक्षक से शिकायत कर चुके थे, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
हमला इतना खौफनाक था कि किसी का हाथ टूट गया, किसी का सिर फट गया और किसी की पीठ लोहे की छड़ों से बुरी तरह लाल कर दी गई। सभी घायल लोग गोगरी सदर अस्पताल में भर्ती हैं, जहाँ उनका इलाज चल रहा है। इस पूरी घटना ने बिहार सरकार के लॉ एंड ऑर्डर पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं।
थाना की दूरी सिर्फ 50 मीटर, लेकिन पुलिस रही मूकदर्शक-
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यह घटना हरिनमार थाना से मात्र 50 मीटर की दूरी पर हुई। बावजूद इसके, थाना प्रभारी ए.के. आजाद ने पूर्व में दिये गए तीन अलग-अलग शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया और पीड़ितों की गुहार को इग्नोर कर दिया। नतीजा – अपराधियों के हौसले इतने बुलंद हो गए कि उन्होंने खुलेआम घर में घुसकर हमला कर दिया।
मुख्य आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं-
हमले में शामिल अपराधियों की पहचान भी सामने आ चुकी है। इनमें प्रमुख नाम हैं –
कुंदन रजक उर्फ कुणाल रजक, चंदन रजक, फूलो रजक, संजीत रजक, प्रवेश यादव, धर्मवीर यादव, मुरली यादव, फुलेश्वर यादव, रुपेश यादव, पंकज यादव, विक्रम रजक, तूफानी रजक, माला देवी, अंजलि कुमारी, दिवाकर कुमार तथा कई अज्ञात हमलावर, जिनके चेहरे गमछे से ढके हुए थे। इन अपराधियों के पास कट्टा, पिस्टल, राइफल, तलवार, गैता और लोहे के पंजे जैसे खतरनाक हथियार थे।
सरकार और प्रशासन की भूमिका संदिग्ध-
सबसे बड़ी विडंबना यह रही कि SP और DIG तक भी शिकायत पहुँचाने के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। पीड़ितों ने बताया कि जब उन्होंने एसपी को आवेदन दिया और इस बात की भनक हरिनमार थाने को लगी, तभी आनन-फानन में FIR दर्ज कर औपचारिकता पूरी कर दी गई। इससे साफ ज़ाहिर होता है कि स्थानीय प्रशासन और पुलिस की मिलीभगत या निष्क्रियता से अपराधी बेलगाम हैं।
बिहार सरकार पर उठे सवाल-
यह मामला केवल एक परिवार का नहीं, बल्कि पूरे बिहार की कानून व्यवस्था की पोल खोलता है। नीतीश सरकार के “सुशासन” की छवि अब धूमिल होती जा रही है। आए दिन प्रदेश में हत्या, बलात्कार, लूट और मारपीट की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, और पुलिस या तो निष्क्रिय है या राजनीतिक प्रभाव में पंगु हो चुकी है। जब थाना से चंद कदम की दूरी पर हमला होता है और पुलिस मूकदर्शक बनी रहती है, तब यह सवाल उठना लाज़मी है कि आखिर आम जनता कहाँ जाए?
पीड़ितों की मांग – अपराधियों की गिरफ्तारी और पुलिस अधिकारी पर कार्रवाई-
पीड़ित परिवार ने DIG और SP से हस्तक्षेप की मांग की है। साथ ही थाना प्रभारी AK आजाद को सस्पेंड कर इस पूरे मामले की CBI या स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने की मांग की जा रही है। पीड़ितों का कहना है कि यदि अपराधियों को जल्द गिरफ्तार नहीं किया गया, तो वे धरना प्रदर्शन करेंगे और मुख्यमंत्री आवास तक पैदल मार्च करेंगे।
मुंगेर की यह घटना केवल एक पुलिस थाने की लापरवाही नहीं, बल्कि पूरे बिहार प्रशासनिक तंत्र की सड़ांध को उजागर करती है। अगर सरकार वाकई में कानून का राज चाहती है, तो दोषियों की अविलंब गिरफ्तारी और लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए, वरना जनता का कानून पर से विश्वास पूरी तरह उठ जाएगा।
