विवेक कुमार यादव । ब्युरो । बिहार/झारखंड ।
पटना । 5 जून 2025
बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन, पटना
बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के प्रांगण में गुरुवार को प्रकृति-राग के साधक कवि आचार्य कलक्टर सिंह ‘केसरी’ की जयंती के अवसर पर एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें बिहार प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी और साहित्यकार इन्दु भूषण सहाय की आत्मकथा ‘ज़िन्दगी का सफ़र’ का लोकार्पण किया गया।
इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि सज्जन, संयमी और लोककल्याण के लिए समर्पित व्यक्तित्वों की आत्मकथाएँ समाज और नयी पीढ़ी के लिए प्रकाश-स्तंभ की तरह होती हैं। इन्दु भूषण सहाय ऐसे ही व्यक्तित्व हैं, जिन्होंने जीवन के कठिन से कठिन दौर में भी नैतिक मूल्यों से समझौता नहीं किया।
📚 लोकार्पण एवं वक्तव्यों की प्रमुख बातें:
सम्मेलन अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ ने पुस्तक का लोकार्पण करते हुए कहा –
“श्री सहाय का जीवन संयम, सेवा और सत्य के मार्ग पर दृढ़ रहने का अनुपम उदाहरण है। ‘ज़िन्दगी का सफ़र’ आत्मकथा मात्र नहीं, बल्कि पीढ़ियों को जीवन का पाठ पढ़ाने वाली कृति है।”
उन्होंने आचार्य केसरी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि –
“केसरी जी की रचनाओं में प्रेम, प्रकृति और जीवन की गहन संवेदनाएँ थीं। उन्हें ‘केसरी’ उपनाम राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने दिया था। दोनों कवियों में गहरी आत्मीयता थी।”
पूर्व केंद्रीय मंत्री पद्मभूषण डॉ. सी. पी. ठाकुर ने कहा –
“जीवन केवल साँसों का नाम नहीं, वह सतत संघर्ष और सकारात्मक दृष्टिकोण का नाम है। ‘ज़िन्दगी का सफ़र’ उन मूल्यों की कथा है, जो जीवन को सार्थक बनाते हैं।”
🏅 विशेष सम्मान:
इस अवसर पर डा. नवनीत कुमार को ‘आचार्य कलक्टर सिंह ‘केसरी’ स्मृति सम्मान’ से सम्मानित किया गया, जिनकी साहित्यिक प्रतिभा और संवेदनशील लेखन को मंच से सराहा गया।
कवि गोष्ठी:
समारोह के दूसरे सत्र में आयोजित कवि सम्मेलन में देशभर से आए वरिष्ठ और युवा कवियों ने भाग लिया। प्रमुख रचनाकारों में शामिल रहे:
- आर. पी. घायल
- प्रो. सुनील कुमार उपाध्याय
- वसीम औरंगाबादी
- डॉ. रमाकान्त पाण्डेय
- प्रो. नागेन्द्र शर्मा
- डॉ. प्रियंका सिन्हा
- सदानन्द प्रसाद, डॉ. अनिल कुमार शर्मा
- नीता सहाय, रौली कुमारी, सुनीता रंजन, पंकज प्रियम आदि।
मंच का संचालन कवि ब्रह्मानंद पाण्डेय ने किया और धन्यवाद ज्ञापन कृष्ण रंजन सिंह ने।
प्रमुख उपस्थिति:
समारोह में सम्मेलन के अर्थमंत्री प्रो. सुशील कुमार झा, ईं. बाँके बिहारी साव, प्रवीर कुमार पंकज, प्रो. राम ईश्वर पण्डित, डा. चंद्रशेखर आज़ाद, प्रमोद कुमार आर्य, रंजन कुमार अमृतनिधि सहित साहित्य, प्रशासन और शिक्षा जगत के अनेक प्रबुद्धजन उपस्थित रहे।
