विवेक कुमार यादव । ब्युरो । बिहार/झारखंड ।
पटना:
पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग, बिहार सरकार ने दुधारू पशुओं में ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन के अनियंत्रित और स्वेच्छा से प्रयोग को गंभीर स्वास्थ्य खतरा बताते हुए कड़ा परामर्श जारी किया है। विभाग ने पशुपालकों को बिना पशु चिकित्सक की अनुमति के इस इंजेक्शन के उपयोग से सख्ती से बचने की सलाह दी है।
विभाग ने कहा है कि ऑक्सीटोसिन हार्मोन सामान्यतः प्रसव के समय गर्भाशय संकुचन और दूध स्राव को उत्तेजित करने में सहायक होता है, लेकिन इसके कृत्रिम प्रयोग से पशुओं में हार्मोनल असंतुलन, दवा पर निर्भरता, और दूध की गुणवत्ता में गिरावट जैसी गंभीर समस्याएं देखी जा रही हैं। लंबे समय तक इसका अनावश्यक उपयोग पशुओं को प्राकृतिक रूप से दूध देने में अक्षम बना सकता है।
यह इंजेक्शन… सिर्फ डॉक्टर की अनुमति से!
विभाग ने स्पष्ट किया है कि ऑक्सीटोसिन को ‘शेड्यूल-एच’ ड्रग श्रेणी में रखा गया है, जिसकी खरीद-बिक्री और उपयोग केवल लाइसेंस प्राप्त पशु चिकित्सक की लिखित अनुशंसा पर ही की जा सकती है। इस संबंध में फूड एंड ड्रग एडल्ट्रेशन प्रिवेंशन एक्ट, 1940, पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960, तथा भारतीय न्याय संहिता, 2023 के तहत इसका गलत प्रयोग एक दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
पशुपालन निदेशालय ने जानकारी दी कि ऑक्सीटोसिन का अतिशय उपयोग पशुओं की प्रजनन क्षमता, दूध उत्पादन और कुल स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। इसके लगातार प्रयोग से पशु मानसिक और शारीरिक रूप से कमजोर हो सकते हैं, और दूध में मौजूद हार्मोन की मात्रा बच्चों के स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक सिद्ध हो सकती है।
विभागीय निर्देश और चेतावनी:
- बिना प्रमाणित पशु चिकित्सक की सलाह के ऑक्सीटोसिन का उपयोग प्रतिबंधित है।
- इसके प्रयोग पर निगरानी और कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
- स्वाभाविक दुग्ध स्राव को बढ़ावा देने के लिए वैकल्पिक उपाय अपनाने की सलाह दी गई है।
- पशुपालकों से आग्रह किया गया है कि वे अपने पशुओं की सेहत और समाज के व्यापक हित में इस चेतावनी को गंभीरता से लें।
बिहार सरकार की यह पहल पशुओं की रक्षा और दूध की गुणवत्ता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। विभाग ने सभी पशुपालकों से अपील की है कि वे ऑक्सीटोसिन के प्रयोग में सतर्कता बरतें और केवल अत्यावश्यक स्थिति में डॉक्टर की देखरेख में ही इसका उपयोग करें।
