विवेक कुमार यादव । ब्युरो । बिहार/झारखंड ।
- चकाई से चुनाव जीतकर सारण तक असर, पॉजिटिव पॉलिटिक्स के दम पर बनाई अलग पहचान
बिहार की राजनीति में एक नाम इन दिनों तेजी से चर्चा में है — सुमित कुमार सिंह, जो राज्य के इकलौते ऐसे विधायक हैं जो तीन अलग-अलग गठबंधनों की सरकार में मंत्री बन चुके हैं। साल 2024 में नवगठित भाजपा-जदयू सरकार में मंत्री पद की शपथ लेने वाले सुमित कुमार सिंह इससे पहले 2020 की एनडीए सरकार और महागठबंधन सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं।
🏛 चकाई से मंत्रीपद तक की यात्रा
जमुई जिले के चकाई विधानसभा क्षेत्र से विधायक सुमित कुमार सिंह 2020 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में विधानसभा में चुने गए थे। यह अपने आप में ऐतिहासिक था कि 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में वह इकलौते निर्दलीय विधायक थे, जिन्हें जनता ने भारी मतों से जिताया और जिनका प्रभाव इतना मजबूत रहा कि तीन सरकारों ने उन्हें मंत्री पद सौंपा।
👨👩👦👦 राजनीतिक विरासत और पारिवारिक पृष्ठभूमि
सुमित सिंह की राजनीति केवल वर्तमान नहीं, बल्कि गहरी विरासत से जुड़ी हुई है। उनके दादा डॉ. श्री कृष्णा सिंह बिहार सरकार में मंत्री और मुंगेर से सांसद रहे। पिता नरेंद्र सिंह को बिहार का जुझारू नेता माना जाता था, जो स्वास्थ्य और कृषि मंत्री के रूप में चर्चित रहे। उनके दोनों बड़े भाई स्व. अभय सिंह और अजय प्रताप सिंह भी विधायक रह चुके हैं।
🎓 शिक्षा और वैचारिक स्पष्टता
सुमित कुमार सिंह की पढ़ाई भारत के प्रतिष्ठित जेएनयू (जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय) से हुई है। वे अपने तेज़-तर्रार और ऊर्जा से भरे युवा नेता के रूप में पहचाने जाते हैं। राजनीति में उनकी सोच “पॉजिटिव पॉलिटिक्स” की रही है।
🛤 चकाई से चंडीगढ़ तक की सोच
पिछले 4 वर्षों में सुमित कुमार सिंह ने चकाई में विकास की योजनाओं को ज़मीन पर उतारा है। उनकी सोच है – “चकाई को चंडीगढ़ बनाना”, और उसी दिशा में वे निरंतर कार्य कर रहे हैं।
🏘 छपरा से भी है संबंध
उनका छपरा से भी गहरा नाता है। उनकी पत्नी सपना सिंह, छपरा जिले के सोनपुर बरबट्टा से हैं, जो राजा साहब स्व. लग्न देव बाबू की पौत्री हैं। उनके ससुर ओम कुमार सिंह, पटना हाईकोर्ट के वरीय अधिवक्ता और भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं।
🤝 सामाजिक, राजनीतिक और व्यक्तिगत संतुलन
सुमित सिंह की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वे राजनीतिक सक्रियता के बावजूद व्यक्तिगत संबंधों को महत्व देते हैं। विवादों से दूर रहते हैं और सामाजिक गतिविधियों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। यही वजह है कि उन्हें “बिहार का संभावनाओं से भरा युवा तुर्क” माना जाता है।
