संवाददाता विशेष । विवेक कुमार यादव । बिहार / झारखंड ब्युरो
📰 ग्रीष्मकालीन कला कार्यशाला का उद्घाटन, हर बच्चे को मिलेगा सीखने का अवसर: रचना पाटिल
पटना, 30 मई 2025
बिहार सरकार के कला, संस्कृति एवं युवा विभाग तथा बिहार ललित कला अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित “पंद्रह दिवसीय ग्रीष्मकालीन कला जागृति कार्यशाला 2025” का उद्घाटन समारोह आज पटना स्थित भारतीय नृत्य कला मंदिर परिसर में उत्साहपूर्वक संपन्न हुआ। कार्यशाला का उद्देश्य बच्चों एवं युवाओं को पारंपरिक कला और हस्तशिल्प से जोड़ना, उनकी रचनात्मकता को विकसित करना और इन विधाओं को भावी पीढ़ियों तक पहुंचाना है।
कार्यशाला का उद्घाटन दीप प्रज्वलन कर श्रीमती रचना पाटिल (भा.प्र.से.), निदेशक, पुरातत्व एवं संग्रहालय निदेशालय, श्रीमती रुबी (भा.प्र.से.), निदेशक, सांस्कृतिक कार्य, श्री सुशांत कुमार, सचिव, बिहार ललित कला अकादमी, और डॉ. अजय कुमार सिंह, जनसंपर्क पदाधिकारी द्वारा किया गया। सभी अतिथियों का स्वागत पौधारोपण कर किया गया।
🎨 हर बच्चे को मिलना चाहिए सीखने का अवसर: रचना पाटिल
कार्यक्रम में उपस्थित बच्चों और उनके अभिभावकों को संबोधित करते हुए श्रीमती रचना पाटिल ने कहा,
“यह ऐसा अवसर है जब बच्चे अपनी रुचियों को जानेंगे, अपनी प्रतिभा को तराशेंगे। हमें इस बात का विशेष ध्यान रखना है कि कोई भी बच्चा इस कार्यशाला से मायूस होकर वापस न जाए। अगर आवश्यकता हो तो सीटें बढ़ाई जाएंगी, ताकि हर इच्छुक प्रतिभागी को कला सीखने का अवसर मिले।”
उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे आयोजन बच्चों के लिए केवल एक शौक नहीं, बल्कि भविष्य के संभावित करियर का द्वार बन सकते हैं। साथ ही उन्होंने विभागीय नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा कि आने वाले समय में ऐसे रचनात्मक और उद्देश्यपूर्ण आयोजन लगातार होते रहेंगे।
कार्यक्रम के अंत में श्रीमती रुबी ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि सभी अतिथियों, प्रतिभागियों, अभिभावकों और अधिकारियों का सहयोग ही इस आयोजन को सफल बना रहा है।
🧵 क्या मिलेगा कार्यशाला में?
कार्यशाला में बच्चों को मधुबनी पेंटिंग, टिकुली कला, टेराकोटा, वेणु शिल्प जैसी पारंपरिक कलाओं का विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षण मिलेगा।
- सभी चयनित प्रतिभागियों को विभाग की ओर से उपयोग में आने वाली सभी सामग्री निशुल्क दी जा रही है।
- कार्यशाला का आयोजन 30 मई से 13 जून 2025 तक प्रतिदिन सुबह 11:00 बजे से दोपहर 3:30 बजे तक किया जाएगा।
लगभग 500 आवेदन प्राप्त हुए थे, जिनमें से विभिन्न विधाओं के लिए 30-30 प्रतिभागियों को शॉर्टलिस्ट किया गया। अतिरिक्त बच्चों को भी शामिल करने के प्रयास किए जा रहे हैं ताकि “पहले आओ, पहले पाओ” की नीति से वंचित रहे बच्चों को भी कला सीखने का अवसर मिले।
कार्यक्रम का संचालन श्री वीरेंद्र जी ने किया। आयोजन को बच्चों, अभिभावकों और कला प्रेमियों ने गरिमामयी उपस्थिति देकर विशिष्ट स्वरूप प्रदान किया।
