राजस्व विभाग ने जारी की एडीएम रैंकिंग, मंत्री संजय सरावगी ने दिए सख्त निर्देश

Report- Vivek Kr. Yadav, Bihar & Jharkhand Bureau


📰 राजस्व न्यायालयों की ऑनलाइन सुनवाई और ज़मीन विवादों के निपटारे पर आधारित है रैंकिंग


सौजन्य- राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग:

पटना : 30 मई, 2025

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने बिहार के सभी जिलों के अपर समाहर्ता (राजस्व) कार्यालयों की अप्रैल महीने की प्रदर्शन रैंकिंग जारी कर दी है। इस महीने बांका जिला एडीएम (राजस्व) कार्यालय ने शीर्ष स्थान हासिल करते हुए पूरे राज्य में पहला स्थान प्राप्त किया है। वहीं शेखपुरा ने दूसरा और मधुबनी ने तीसरे स्थान पर कब्जा जमाया है।

गौरतलब है कि मधुबनी ने बीते महीने छठे स्थान पर रहते हुए इस बार उल्लेखनीय सुधार किया है। इसके उलट, जहानाबाद और नालंदा जैसे ज़िलों की रैंकिंग में गिरावट देखी गई है। जहानाबाद अप्रैल में चौथे स्थान पर पहुँच गया, जबकि पिछली बार यह दूसरे पायदान पर था। वहीं नालंदा को एक पायदान गिरकर पांचवां स्थान मिला है।

औरंगाबाद ने बेहतरीन कार्य प्रदर्शन कर नौवें स्थान से उछाल मारते हुए छठा स्थान प्राप्त किया है। कैमूर और सीतामढ़ी अपनी पुरानी रैंकिंग (क्रमशः सातवां और आठवां स्थान) पर स्थिर बने हुए हैं। किशनगंज और दरभंगा ने भी अपनी स्थिति में सुधार किया है।

📈 कैसे तय होती है रैंकिंग?

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा तैयार की गई इस रैंकिंग में राजस्व कार्यों की गुणवत्ता और प्रगति को मापने के लिए विभिन्न सूचकांकों को शामिल किया गया है। इनमें शामिल हैं:

  • दाखिल-खारिज का पर्यवेक्षण (15%)
  • परिमार्जन प्लस पर्यवेक्षण (15%)
  • अंचल कार्यालयों का निरीक्षण (10%)
  • अभियान बसेरा-2 में प्रगति (15%)
  • दाखिल-खारिज रिवीजन (20%)
  • आधार सीडिंग स्टेटस (5%)
  • जमाबंदी कैंसलेशन (15%)
  • ऑनलाइन विवादों की सुनवाई (हियरिंग) (5%)

इस रैंकिंग का उद्देश्य जिलों को पारदर्शिता, गति और जनसेवा के प्रति प्रेरित करना है।

🏅 टॉप 10 जिलों की सूची (अप्रैल 2025):

  1. बांका
  2. शेखपुरा
  3. मधुबनी
  4. जहानाबाद
  5. नालंदा
  6. औरंगाबाद
  7. कैमूर
  8. सीतामढ़ी
  9. किशनगंज
  10. दरभंगा

⚠️ पिछड़े 10 जिले:

  1. वैशाली
  2. पश्चिम चंपारण
  3. लखीसराय
  4. रोहतास
  5. शिवहर
  6. जमुई
  7. सुपौल
  8. पटना
  9. सहरसा
  10. भागलपुर

राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री श्री संजय सरावगी ने बताया कि रैंकिंग में लगातार पिछड़ रहे कार्यालयों की विशेष निगरानी की जा रही है। “हमने जिला स्तर पर और मुख्यालय से अलग-अलग समीक्षा बैठकें शुरू की हैं ताकि आम नागरिकों को उनकी जमीन से जुड़े मामलों में त्वरित और पारदर्शी समाधान मिल सके,” उन्होंने कहा।


🔍 विशेष :

यह मासिक रैंकिंग न केवल जिलों की प्रशासनिक दक्षता को दर्शाती है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करती है कि ज़मीन से जुड़े मामलों में जनता को राहत और न्याय समय पर मिले। विभाग का यह प्रयास प्रशासनिक पारदर्शिता और डिजिटल समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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Author: htnnews24x7@

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