“रिश्तों, धर्म और व्यवस्था पर सटीक कटाक्ष — संवेदनशील रचना ‘सब बनता है'”

साहित्य संकलन विशेष। कुमार गौरव, भागलपुर 

            ।। सब बनता है ।। 

दुनिया में बनाने से ही सब बनता है,
इंसाँ चाह ले गर तो वो रब बनता है। 

कुछ भी कायदे से भला कब बनता है,
अब तो मेज़ के नीचे ही सब बनता है। 

वो सब मेरे मतलब की बातें करते हैं,
उनका मुझसे जब कोई मतलब बनता है। 

हथियारों से है लैश दोनों इस क़दर,
लङ मरने को मानो ये मज़हब बनता है। 

माँ ही पहली उस्ताद होती है यहाँ,
घर ही बच्चों का पहला मकतब बनता है। 

रचनाकार- भानु झा 

htnnews24x7@
Author: htnnews24x7@

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

ट्रेंडिंग खबर

आपकी राय

आप भारत में "ऑपरेशन सिंदूर" के बारे में क्या सोचते हैं?
  • Add your answer

1. Join as an active journalist.
2. Apply for htn news samadhan kendra.
3. Public grievance.
4. Apply for RTI.
6. Apply for a diploma in journalism from htn news channel.
7. Admission portal in India and abroad.
8. Careers.
9. htn legal samadhan.
10. Know your police station contacts.
11. File your ITR.
12. Htn स्वच्छ भारत अभियान.
13. Htn गंगा सफाई मिशन.
14. Htn स्वदेसी.
15. धर्म सनातन क्रांति.
16. Log in
17. Join as a franchise.

HTN NEWS 24X7 के राष्ट्रवादी पत्रकारिता को सहयोग करे