साहित्य संकलन विशेष । कुमार गौरव, भागलपुर
।। अनुभूति ।।
फूल अगर खिलने वाला हो
तो सबसे पहले
इसकी खबर
तितली को लगती है।
बूँदें गिरने वाली हो गर जमीं पर
तो धरती की देह छटपटाने लगती है,
पत्ते-पत्ते को इसकी भनक लग जाती है।
होंठ तो बाद में
बहुत बाद में कुछ कहते हैं।
‘प्रेम हुआ’ इसकी खबर
प्रेम में सबसे पहले तो
प्रेमी के एक-दूसरे के
आत्मा को ही हो जाता है।
कवि- आनंद
