संवाददाता: कुमार गौरव । भागलपुर
लेखिका- पूजा भारद्वाज
सुन पाक काली की हुंकार अभी बाकी है
पाक तेरा मिट्टी में मिलना अभी बाकी है
अपने नापाक इरादों के साथ खुश है तू
हिंदुस्तान का हुनर देखना तेरा अभी बाकी है
खूनी खेल खेला था तूने मासूमों के संग
उस खेल का अंजाम देखना अभी बाकी है
पटाखे आसमान में छोड़, दीवाली तू मनाता है
कई भागों में बंट कर ,तेरा रोना बाकी है
तू निकला हिंदुस्तान से , जिसमें गीता पाठ पढ़ाते है
ना समझो के खेल में ,महाभारत होना अभी बाकी है
सफ़र तेरा खूनी ,लिखता तू एक कहानी है
हमें शौक इतिहास का ,तेरा इतिहास बनना अभी बाकी है..
पूजा सुमन अर्पित करती ,वीर मांओं के चरणों में
जिनके वीरों का घर लौटना अभी बाकी है
