रिपोर्ट- कुमार गौरव, भागलपुर
भागलपुर- हीरा प्रसाद हरेन्द्र जी की स्मृति में साहित्यकारों का संगम, युवा रचनाकारों का उत्साहवर्धन।
अंगिका के महान विभूति और प्रतिष्ठित साहित्यकार हीरा प्रसाद हरेन्द्र जी की पहली पुण्यतिथि पर 17 मई 2025 को आयोजित स्मृति पर्व कार्यक्रम में शामिल होना गौरवपूर्ण रहा। अखिल भारतीय अंगिका साहित्य कला मंच और अजगैबीनाथ साहित्य मंच, सुल्तानगंज के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित इस स्मृति पर्व कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए अंगिका और हिन्दी साहित्य को उन्नति के मार्ग पर बढ़ाने वाले पत्रिका नई धारा के संपादक और अरविंद महिला कॉलेज, पटना के स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग के अध्यक्ष डॉ शिवनारायण जी । कार्यक्रम में सभी अतिथियों और साहित्यकारों ने हीरा बाबू से जुड़ी स्मृतियों पर प्रकाश डाला। उनके व्यक्तिगत, सामाजिक, साहित्यिक और विभिन्न प्रारूपों पर विस्तार से प्रकाश डाला।
कार्यक्रम में सभी आमंत्रित अतिथियों का यथोचित सम्मान किया गया। कवियों ने अपनी कविताएँ बढ़ी अपने श्रधा सुमन हीरा बाबू को अर्पित किए। नामचीन हस्तियों और साहित्यकारों को आप सभी जानते पहचानते हैं। उनकी तस्वीरें देख आप सहज ही पहचान जायेंगे। मैं इस पोस्ट में बात करूंगा वैसे नवोदित साहित्यकारों की जिसकी प्रारंभिक चमक लोगों को आश्चर्यचकित करा रहे हैं। सुधीर प्रोग्रामर (SK Programmer) जी के सफल समन्वय में आयोजित इस कार्यक्रम हेतु युवा साहित्यकारों को सम्मानित कर उन्हें प्रोत्साहित करने का विचार सराहनीय है। इसके दीर्घकालिक प्रभाव देखने को मिलेगा। समानित युवा साहित्यकारों (अंगिका & हिन्दी) में कुमार गौरव, आनंद कुमार और ट्विंकल रानी का शीर्ष पर रहे । कुमार गौरव जहाँ आकाशवाणी भागलपुर से प्रसारित होने वाले कार्यक्रम ग्राम-जगत में अंगिका को नित नियमित ऊँचाई प्रदान कर रहे हैं, वहीं आनंद कुमार आकाशवाणी भागलपुर के ही युववाणी कार्यक्रम में अपनी भाषा और स्वर को मुखरता प्रदान कर रहे हैं। बहुत छोटी उम्र में ही उनकी लेखनी में जो चिंतन, मौलिकता और परिपक्वता छलकती है वह काबिलेतारीफ है। वहीं ट्विंकल रानी उभरती हुई एक सफल मंचीय कवयित्री के रूप में स्थापित हो रही हैं । महिला शक्ति की उपस्थिति की जो एक सशक्त उपस्थिति की कमी भागलपुर और आसपास के मंचों पर रही है, उस कमी को भरने में आप पूरी तरह समर्थ नजर आ रही हैं। आपकी रचनाओं और प्रस्तुति में वह स्तर है जो मौलिकता के आदर्श को स्थापित करती हुई आपको सफलता के शिखर पर लेकर जाएगी। बस अपनी रचनाधर्मिता में पूर्व ईमानदारी और समर्पण बनाए रखिएगा।
इसके साथ सम्मानित रचनाकारों में नंद किशोर सिंह, शिव कुमार सुमन, राधे श्याम चौधरी, ज्योतिष कुमार, संजीव कुमार झा, मधुर मिलन नायक, हीरा बाबू की सुपुत्री बुलबुल कुमारी एवं अन्यों के साथ ही मेरा नाम जय कृष्ण कुमार भी शामिल रहा। इनमें से मधुर जी और संजीव जी को मैं पहले से ही आभासी माध्यम फेसबुक से जानता रहा हूँ। उन्होंने अच्छे गीत की प्रस्तुति देकर सभा की तालियाँ बटोरी। संजीव जी अंगिका और अन्य भाषाओं के गीत, ग़ज़ल गाकर यूट्यूब और फेसबुक पर डालते हैं, जिससे भाषा के प्रचार-प्रसार और मान-सम्मान में बढ़ोत्तरी होती है। दोनों पेशे से शिक्षक हैं। संजीव जी शिक्षण कार्य के साथ ही गायकी करते हैं और मधुर जी शिक्षण कार्य के साथ पत्रकारिता करते हैं।
कार्यक्रम बहुत ही वृहत और भव्य रहा। विशिष्ट अतिथि पो (डॉ ) अमरकांत सिंह, प्राचार्य मुरारका महाविद्यालय, सुल्तानगंज, वरीय ग़ज़लकार – श्री अनिरुद्ध सिन्हा, अंगिका के प्रतिष्ठालब्ध कवि त्रिलोकी नाथ दिवाकर, ब्रह्मदेव कुमार, भावानंद सिंह, मनीष कुमार गूंज, कवि सरयुग पंडित सौम्य, हास्य-व्यंग्य के महारथी प्रकाश सेन प्रीतम, गीतों के राजकुमार राजकुमार जी, गीतों को जीवंत रूप प्रदान करने वाले कवि विकास सिंह गुलटी जी, शशि आनंद अलबेला जी जैसे महान विभूतियों की उपस्थिति से कार्यक्रम में चार चाँद लग गया।
कार्यक्रम के सफल आयोजन की समस्त जिम्मेदारियों और दायित्वों के निर्वहन हेतु अपने पिता की स्मृति में आयोजित होने वाले स्मृति पर्व कार्यक्रम को कराने के लिए हीरा बाबू के एकलौते पुत्र प्रवीण कुमार प्रणव जी समेत उनके परिवार के सभी माननीयों का आत्मीय आभार कि आपने एक मिसाल स्थापित करने में पूरी सफलता अर्जित की है। हीरा बाबू के साथ ही आप सबों का मान भी सदैव बढ़ता रहेगा। कार्यक्रम के अंत में सबों के लिए सुस्वादु और लजीज भोजन के इंतजाम के लिए भी सबों का विशेष आभार प्रकट किया गया।
यह स्मृति पर्व हीरा प्रसाद हरेन्द्र जी की अमर स्मृतियों को सदैव जीवंत रखेगा। सभी साहित्यकारों, सामाजिक और पारिवारिक सदस्यों की श्रद्धा और स्नेह का यह आयोजन निश्चित ही प्रेरणादायक रहा।
जय कृष्ण कुमार – हम हीरा बाबू को याद करते हुए आप सबों के मंगल की कामना करते हैं। सभी साहित्यकारों, सामाजिक लोगों और परिजनों का जो श्रद्धा और स्नेह उनके प्रति देखने को मिला वह आम नहीं है। सबकी जय हो। मैं अपनी कविता के साथ लेखनी को विराम दूंगा।
✍ जय कृष्ण कुमार-
जीवन जिनका प्रेरणास्रोत बना,
वे लोग कहाँ मामूली होते हैं।
हो जाते हों भले जुदा वे,
पर कहाँ वे हमसे जाते हैं।
उनका कहा, लिखा हर शब्द,
सितारों सा जग को दमकाता है।
पाते ऊर्जा उनसे नवदीप सारे,
जग को रौशन करते जाते हैं।
सफर कृति का कहाँ थमता कभी,
वे नित नया आयाम पाते हैं।
नाम अमर हो जाता है उनका,
जो स्नेह-सुधा सदैव लुटाते हैं।
जीवन जिनका प्रेरणास्रोत बना,
वे लोग कहाँ मामूली होते हैं॥
