बगुला मंच द्वारा ललमटिया में भव्य कवि सम्मेलन, देशप्रेम और सामाजिक संवेदनाओं की बही बयार।
रिपोर्ट: Kumar Gaurav, Bhagalpur
भागलपुर के ललमटिया स्थित नशरतखानी नरसिंह मंदिर प्रांगण में हास्य-व्यंग्य की साहित्यिक संस्था ‘बगुला मंच’ द्वारा भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता हास्य व्यंग के प्रख्यात कवि प्रीतम विश्वकर्मा ‘कवियाठ’ ने की, जबकि मंच संचालन का भार धीरज पंडित ने अपनी रोचक और विनोदी शैली में संभाला।
कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना से हुई, जिसमें हिमांशु राधे कृष्ण ने भक्ति भाव से “मैया तोंहीं छो विद्या के आधार” प्रस्तुत कर वातावरण को भक्तिमय बना दिया। इसके पश्चात कवि ध्रुव कुमार सिंह ने “बच्चों को अगर शिक्षा देते नहीं तो क्या करते” सुनाकर देश और धर्म की महत्ता को उजागर किया।
मंच के संयोजक महेश मणि ने अपनी मार्मिक रचना “करुण कहानी” प्रस्तुत कर आधुनिक युग में बेटियों की पीड़ा और संघर्ष को बड़ी संवेदनशीलता से दर्शाया। उनकी कविता ने श्रोताओं की आंखें नम कर दीं।
संचालन के दौरान ही धीरज पंडित ने अपने ओजपूर्ण शब्दों में पड़ोसी देश को चेतावनी देते हुए सुनाया:
“सीमा पर वर्ताव तु ऐसा मत कर पाकिस्तान,
अगर ये जागा हिन्दुस्तान मिटा देगा नामोनिशान।”
इस कविता ने पूरे सभागार में जोश और उत्साह का संचार कर दिया और खूब तालियाँ बटोरीं।
संजय कुमार ने युद्ध के भीषण परिणामों पर आधारित अपनी कविता से शांति और सौहार्द्र का संदेश दिया। अभय कुमार भारती ने “पाल पोस कर बच्चों के खातिर क्या नहीं किया” शीर्षक से घर-घर की पीड़ा और माता-पिता के संघर्ष को करुण रस में प्रस्तुत किया। उनकी कविता ने हर किसी के दिल को छू लिया।
कवि कपिल देव रंग ने “प्यार भूल कर भी भूलाना ना चाहिए” के माध्यम से युवाओं को प्रेम और संबंधों की महत्ता समझाई। उनके संदेश ने युवा पीढ़ी को प्रेरित किया।
इस अवसर पर कवि बिनोद राय, प्रीतम विश्वकर्मा ‘कवियाठ’ और सुनील कुमार रंग ने भी अपनी रचनाओं के माध्यम से देशप्रेम और समाज सेवा का संदेश दिया।
कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन से हुआ, जिसे श्री सुमन ने प्रस्तुत किया। आयोजन में मंदिर समिति के सदस्यों सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे, जिन्होंने कविताओं का भरपूर आनंद लिया।
इस आयोजन ने कविता के माध्यम से देशप्रेम, सामाजिक संवेदनाओं और मानवीय मूल्यों को सशक्त रूप से प्रस्तुत किया, जो श्रोताओं के मन-मस्तिष्क पर अमिट छाप छोड़ गया।
