“भक्ति के रंग में रंगा कुप्पाघाट: महर्षि मेंहीं की 141वीं जयंती पर उमड़ा जनसैलाब”

महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज की 141वीं जयंती कुप्पाघाट आश्रम में धूमधाम से मनाई गई। 

रिपोर्ट- कुमार गौरव , भागलपुर।

बीसवीं सदी के महान संत सदगुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज की 141 वीं जयंती रविवार को महर्षि मेंहीं आश्रम कुप्पाघाट में धूम धाम से मनाई गई।जयंती समारोह के अन्तर्गत अहले सुबह 5 बजे गाजे बजे के साथ प्रभात फेरी निकाली गई। 6 बजे से भजन कीर्तन ,स्तुति प्रार्थना हुई । 8 बजे से गुरु निवास में पुष्पांजली ,11 बजे से सामूहिक भंडारा का आयोजन किया गया। पुनः 2 बजे से अपराह्नकालीन स्तुति विनती एवं सद्ग्रन्थ का पाठ किया गया।इसके बाद उपस्थित संतो के द्वारा संत सदगुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के व्यक्तिव्त एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला गया ।। आध्यात्मिक सभा को संबोधित करते हुए गुरु चरण सेवी स्वामी प्रमोद जी महाराज ने कहा कि तीनों लोकों की संपदा गुरु के अधीन रहती है।गुरु चंदन और चन्द्रमा के समान शीतल होते हैं।संत जगत की त्रास मिटाते हैं।संतो के दर्शन मात्र से तीनों ताप,(दैहिक, दैविक और भौतिक ) मिट जाते हैं।भगवान शंकर ने भी माता उमा सहित ऋषि कुम्भज की पूजा की है सत्संग सुना है । भगवान राम ,भगवान कृष्ण और भगवान शंकर भी संतों की महिमा कहते नहीं थकते।। गुरु सेवी भगीरथ दस जी महाराज ने कहा कि संत सदगुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज मनुष्य रूप में परमात्मा ही थे।।ब्रम्ह मुहूर्त में ध्यान करने से गुरुदेव की दया अधिक प्राप्त होती है। साधकों को आलसी नहीं होना चाहिए। यह संसार चलंत है,बीता हुआ समय वापस नहीं आता है इसलिए मनुष्य शरीर मिला है तो स्वयं से स्वयं का ध्यान के द्वारा मुलाकात कर लीजिए।स्वयं का साक्षात्कार अंदर में चलने से होगा बाहर में नहीं । ईश्वर की प्राप्ति अपने अंदर में चलने से होगा बाहर में नहीं। बाहर ना खोज सज्जन भीतर में खोज न अपने ही घट में प्रभु हैं अंदर में खोज ना।। इसके लिए गुरु मंत्र का निरंतर जाप करते रहिए। संतमत के अंतरराष्ट्रीय वक्ता सत्यप्रकाश बाबा ने कहा कि गुरु महाराज के बारे में कुछ भी कहना सूर्य को दीपक दिखाने जैसा है। सूर्य को कोई दीपक दिखाए या ना दिखाए इससे सूर्य को कोई फर्क नहीं पड़ता है लेकिन दीपक दिखाने वाले पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उसकी आस्था दृढ़ होती है।उसी प्रकार गुरु की महिमा का बखान करने वाले का गुरु के प्रति श्रद्धा दृढ़ होती है।गुरु महाराज की जयंती उनके दिए ज्ञान को स्मरण करने के लिए मनाते हैं।स्वामी परमानंद बाबा ने कहा कि किसी महापुरुष का जन्मदिन मनाना तभी सार्थक होगा जब हम उनके बताए हुए रास्ते पर चलेंगे । भगवान शंकर ने कहा है जो गुरु हैं वहीं ईश हैं और जो ईश हैं वही गुरु हैं ।गुरु के प्रति परमात्मा का भाव होना चाहिए। पांच महापापों झूठ चोरी नशा हिंसा और व्यविचार से दूर रहना चाहिए।जयंती समारोह में आए सभी भक्त जानों का स्वागत करते हुए अखिल भारतीय संतमत महासभा के महामंत्री दिव्य प्रकाश ने कहा कि इतनी गर्मी आपलोग दूर दूर से यहां आए हैं सबका स्वागत है।महान व्यक्ति के व्यक्तित्व और कृतित्व को शब्दों में समेटना संभव नहीं है।देस को जब हमारी जरूरत पड़ेगी तो सभी लोग तैयार रहें । ग्लोबल वार्मिंग काफी बढ़ रहा है तो ऐसे में हमारा कर्तव्य बनता है कि आने वाले बरसात में अधिक से अधिक संख्या में पौधारोपण करें।आखिर में गुरु कीर्तन और आरती से जयंती महोत्सव संपन्न हुआ।

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