भारत की सुरक्षा में बड़ा कदम: सेना प्रमुख को प्रादेशिक सेना की तैनाती का विशेषाधिकार
Editorial: New Delhi
मुख्य समाचार:
नई दिल्ली: 9 मई 2025 को भारत सरकार ने एक ऐतिहासिक निर्णय में सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी को प्रादेशिक सेना (टेरिटोरियल आर्मी) की तैनाती का विशेषाधिकार प्रदान किया। इस निर्णय के तहत सेना प्रमुख को अब 50 हजार जवानों, 65 यूनिट और 6 बटालियन वाली इस विशेष सेना को किसी भी आपातकालीन स्थिति में तुरंत तैनात करने का अधिकार होगा।
राष्ट्रीय सुरक्षा में नई रणनीति:
यह कदम भारत-पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव और ऑपरेशन सिंदूर की पृष्ठभूमि में उठाया गया है। 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत के बाद, भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत 7 मई को पाकिस्तान और पीओके में नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया था।
इसके जवाब में पाकिस्तान ने 7-8 मई की रात को भारत के 15 शहरों में ड्रोन और मिसाइल हमलों की कोशिश की, लेकिन भारतीय वायु रक्षा प्रणाली ने इसे नाकाम कर दिया। इन घटनाओं के बाद सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा को और मजबूत करने का फैसला किया है।
प्रादेशिक सेना: नागरिकों की सेना, देश की ताकत
प्रादेशिक सेना एक अंशकालिक स्वैच्छिक बल है, जिसमें आम नागरिक भी शामिल हो सकते हैं। 1949 में स्थापित इस बल का मुख्य उद्देश्य संकट के समय नियमित सेना का समर्थन करना है। यह सेना प्राकृतिक आपदाओं, आतंकवाद विरोधी अभियानों और आंतरिक सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
प्रादेशिक सेना की तैनाती के प्रमुख उद्देश्य:
- सुरक्षा और निगरानी: संवेदनशील स्थानों, बुनियादी ढांचे और सीमावर्ती क्षेत्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करना।
- आपदा प्रबंधन: प्राकृतिक आपदाओं, युद्ध या आतंकवादी हमलों के दौरान राहत और बचाव कार्यों में सहायता।
- आंतरिक सुरक्षा: महत्वपूर्ण सरकारी प्रतिष्ठानों, रेलवे, हवाई अड्डों और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों की सुरक्षा।
- सैनिक क्षमता में वृद्धि: युद्धकाल में नियमित सेना का समर्थन करना।
ऑपरेशन सिंदूर: भारत की सटीक सैन्य रणनीति
ऑपरेशन सिंदूर भारत की आतंकवाद विरोधी रणनीति का एक प्रतीक बन गया है। 7 मई को भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पीओके में आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया, जिसके बाद 8 मई को भारतीय नौसेना ने कराची बंदरगाह पर हमला कर ऑपरेशन सिंदूर-2 को अंजाम दिया।
सरकार का स्पष्ट संदेश:
भारत सरकार का यह निर्णय न केवल सैन्य ताकत बढ़ाने का संकेत है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि देश किसी भी आंतरिक या बाहरी खतरे का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है। सेना प्रमुख को यह अधिकार देना एक स्पष्ट संदेश है कि भारत अपनी सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है।
विशेषज्ञों की राय:
सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि प्रादेशिक सेना की तैनाती से भारतीय सेना की संचालन क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। यह नागरिकों को सैन्य सेवा से जोड़ते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा में उनकी भागीदारी को भी बढ़ाएगा।
अगले कदम:
प्रादेशिक सेना के जवानों और अधिकारियों को अब नियमित प्रशिक्षण और आपातकालीन तैयारियों के लिए निर्देशित किया जा सकता है। सेना प्रमुख, देश में सुरक्षा स्थिति के आधार पर इन्हें तुरंत सक्रिय कर सकते हैं।
