साहित्य संकलन विशेष। कुमार गौरव, भागलपुर
।। स्पर्श ।।
तुमने एक फूल को छुआ
वे फूल
अब केवल फूल नहीं रहे..
उनमें एक अजीब सी
गंध आ गयी है,
एक उन्मुक्त सी हंसी
दिखने लगी है उनमें मुझे।
तुम्हारे संसर्ग से
दुखों में भी संभावनाओं के फूल
खिलखिला उठते हैं।
तुम्हारे छू लेने से
तस्वीरें केवल तस्वीर नहीं रहती।
फूल केवल फूल नहीं रहता।
सोचता हूँ —
किसी के महज़ स्पर्श भर से
कितना सुंदर हो जाता है
कोई फूल।
कवि — आनंद
