July 20, 2025 11:28 pm

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खतरनाक सोच और हिंसक मानसिकता की झलक: भानु झा की कविता में दिखा प्यार, जिहाद और देशभक्ति का जटिल जज़्बा

रिपोर्ट- कुमार गौरव, भागलपुर 

मुझको हर बार ख़बरदार बहुत करता है। 
यानी वो शख़्स मुझे प्यार बहुत करता है।। 

अम्न का ख़ुद को तरफदार बताने वाला। 
जमा किस वज्ह से हथियार बहुत करता है।। 

उसके मज़हब का ही परचम दिखे दुनिया भर में। 
वो जिहादी यहाँ तैयार बहुत करता है।। 

काफ़िरों! जान लो , सर तन से ज़ुदा करने को। 
रोज़ तलवार में वो धार बहुत करता है।। 

मुल्क ,मजहब कि ख़्यालात कि शरहद में वह। 
सबको यूँ बाँट के व्यापार बहुत करता है।। 

खूंटे पर टाँग दूं या डाल दूं दरया में अब। 
मेरा ईमां मुझे लाचार बहुत करता है।। 
भानु झा 

हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध कवि भानु झा ने अपनी नई कविता के माध्यम से वर्तमान समाज में व्याप्त जटिल भावनाओं और विचारधाराओं को उजागर किया है। इस कविता में उन्होंने प्यार, धार्मिक कट्टरता, देशभक्ति और जीवन के संघर्ष का बारीक विश्लेषण किया है। कविता में कवि ने स्वयं की असमंजस भरी स्थिति को बेबाकी से व्यक्त किया है, जो पढ़ने वालों को सोचने पर मजबूर कर देता है।

कविता का सार इस प्रकार है:-
– कवि का कहना है कि अक्सर लोग अपने प्रेम और प्यार को बहुत अधिक जताते हैं, जिसे वे अपने अंदर की गहराई से महसूस करते हैं।
– वहीं, कुछ लोग अपनी धार्मिक या विचारधारात्मक भागीदारी को बहुत जरूरी मानते हैं और उसके लिए हथियार उठाने से भी परहेज नहीं करते।
– कविता में यह भी दर्शाया गया है कि जिहाद जैसी विचारधारा के नाम पर देश-धर्म की सीमाओं को लांघने का प्रयास किया जा रहा है, जिसमें खतरनाक हिंसा का खतरा मंडरा रहा है।
– कवि ने यह भी कहा है कि इस तरह के विचारधारात्मक संघर्षों के चलते समाज में विभाजन की स्थिति पैदा हो रही है, जो देश के लिए खतरा बन सकता है।
– अंत में, कवि अपने ही मन की बेचैनी दर्शाते हुए कहते हैं कि क्या करें—खुंटे पर टाँगें या फिर दरिया में डाल दें, क्योंकि इन विचारों का बोझ उन्हें लाचार बना रहा है।

यह कविता आज के दौर की जटिलताओं और मानसिक द्वंद्व का आईना है। भानु झा ने अपने शब्दों में यह दिखाने की कोशिश की है कि प्यार भी कहीं गहरे जख्म और संघर्ष का कारण बन सकता है, और विचारधारा का टकराव भी हिंसा का रूप ले सकता है।

**संपादकीय टिप्पणी:**
यह कविता समाज में व्याप्त धार्मिक कट्टरता, हिंसा और मनोवैज्ञानिक संघर्ष को उजागर करती है। हमें समझना चाहिए कि प्रेम और सद्भाव ही समाज का आधार हैं। अपनी सोच में सकारात्मकता लाने और संवाद के माध्यम से मतभेदों को दूर करने की आवश्यकता है।

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Author: htnnews24x7@

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