अंग और राजा कर्ण की धरती पर प्रथम बार अंगिका युवा बॉज़ की तरफ़ से अंगिका युवा महोत्सव कार्यक्रम 2023 का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम बीते 9 अप्रैल को पाइन विला में तय होना था मगर कुछ तकनीकी गड़बड़ियों के कारण कार्यक्रम को स्थगित करना पड़ा, अंगिका प्रेमियों को याद रखते हुए कार्यक्रम को 14 अप्रैल को जवारीपुर, तिलकामाँझी स्थित वृंदावन हॉल के प्रांगण में अपराहन 1:00 बजे शुरू किया गया। सर्वप्रथम महोत्सव का शुभारम्भ दीपप्रज्वलन के साथ किया गया। पूर्व एमएलसी डॉक्टर एन के यादव, पूर्व मेयर डॉक्टर वीना यादव, पूर्व उपमेयर राजेश वर्मा, बाल श्रम आयोग उपाध्यक्ष रजीवकांत मिश्रा, बाल श्रम आयोग अध्यक्ष चक्रपाणि हिमांशु, पूर्व अध्यक्ष अंगिका अकादमी बिहार के डॉक्टर लखन लाल आरोही, अंगिका क्लिनिक के डॉक्टर डी पी सिंह, डॉक्टर अजय कुमार सिंह, विध्यवाचशपती आमोद, भजयूमो के चंदन ठाकुर, भाजपा ज़िला उपाधियक्ष रोशन सिंह, कपिलदेव रंग, सुप्रशिद गायक अरविंद यादव, आयोजक मनजीत सिंह किंवार, कुमार सिवल सर्विसेज़ के कुमार गौरव, मंच संचालककर्ता पूर्णेंदु कुमार और मितिलेश कुमार की उपस्थिति में दीपप्रज्वलीत किया गया। अंग की क्षेत्रीय भाषा अंगिका के समृदधि देने के साथ क्षेत्रीय सभ्यता व संस्कृति की विरासत को संजोय रखने के लिए भागलपुर में अंगिका बॉज़ टीम द्वारा अंगिका युवा महोत्सव कार्यक्रम का आग़ाज़ किया गया। इस कार्यक्रम में उधघाटन सत्र, वादन सत्र, गायन सत्र, नृत्य सत्र, काव्य प्रस्तुति सत्र, मिमिक्रि सत्र, नाटक सत्र, फ़िल्म सत्र, फ़ैशन शो सत्र रखा गया था। कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों को पुष्पगुच्छ, बुके व अँगोछ देकर स्वागत किया गया। भागलपुर में आज १४ अप्रैल का दिन अंगिका प्रेमियों के लिए विशेष रहा। अंगिका युवा मोहोत्सव के प्रांगण में सभी ने मिलकर बैशाखी पर्व, सतवानी पर्व और डॉक्टर भीम राव अम्बेडकर जयंती भी मनाया। सरस्वती वंदना सूरज जयसवाल और जयश्री सूरज भारती व स्वागत नृत्य आदित्य आनंदम के द्वारा प्रस्तुत किया गया। वहीं स्वागत भाषण सह भूमिका के रूप में डॉक्टर मनजीत सिंह क़िनवार के द्वारा किया गया। डॉक्टर मनजीत सिंह ने मौक़े पर उपस्थित अतिथियों एवं दर्शकों को बताया की यह कार्यक्रम करने का उद्देश्य अंगिका भाषा को प्राथमिकी देने और प्राचीन अंगिका के विकास व उत्थान के लिए आज से प्रत्येक वर्ष अंगिका युवा महोत्सव को मनाया जाएगा। प्राचीन अंगिका के विकास के शुरुआती दौर को प्राकृत और अपभ्रंश के विकास से जोड़ा जाता है। लगभग ४ से ५ करोड़ लोग अंगिका को मातृभाषा के रूप में प्रयोग करते हैं और इसके प्रयोगकर्ता भारत के विविन्न हिस्सों सहित विश्व के कई देशों के फैले हुए हैं। सहित्यतिक भाषा की अंगिका को सहित्यतिक भाषा का दर्जा हासिल है। अंगिका प्राचीन अंग महाजनपद अर्थात भारत के उत्तर-पूर्वी एवं दक्षिण बिहार, झारखंड, बंगाल, असम, उड़ीसा और नेपाल के तराई के इलाक़ों में मुख्य रूप से बोली जाने वाली भाषा है। लगभग चार से पाँच करोड़ लोग अंगिका भाषा को मातृभाषा के रूप में प्रयोग करते हैं। यह प्राचीन भाषा कम्बोडिया, वियतनाम, मलेशिया आदि देशों में भी प्राचीन समय से बोली जाती रही है। यह प्राचीन समय में अंगिका भाषा की अपनी एक अलग अंग लिपि भी थी। इस कार्यक्रम में बिहपुर, नवगछिया से आए बांसुरी वादक प्रिन्स कुमार, वंशीधर ने अपना प्रस्तुति दिया। गायन सत्र का मंच संचालन कर रहे मितिलेश आनंद द्वारा गायाक को स्टेज पर मौक़ा दिया गया जिसमें चक्रधर कृष्णा, सूरज भारती, अर्पिता चौधरी, अंगिका राय, ललित, गौतम आनंद, धनंजय, शांति प्रिया, जय श्री, दिलजीत, एवं भारत जी की टीम सेंट पौल विधायल से प्रथम प्रस्तुति की गयी। नृत्य सत्र का संचालक संजीत संगम, काव्य सत्र संचालक कुमार गौरव, मिमिक्रि व नाट्य सत्र इत्यादि की प्रस्तुति की गयी। कार्यक्रम के दौरान देशभक्ति कविता का मंचन कर रहे मनोज कुमार सिंह एवं उनकी टीम ने अद्भुत प्रस्तुतिकर सभी दूर दराज से आए दर्शकों का मन मोह लिया। इस महोत्सव में गायन प्रस्तुति कर रही अर्पिता चौधरी ने अंगिका भाषा में मूल रूप से विवाह गीत गाकर माहौल ख़ुशनुमा किया। साथ ही सभी युवा कलाकारों को प्रसस्ती पत्र देकर आदरपुरवर्क सम्मानित किया गया। पूरे कार्यक्रम का संचालन से लेकर समाप्ति तक अंगिका भाषा में ही किया गया। पूर्व मेअर वीना यादव ने अंगिका बॉज़ टीम को बधाई देते हुए कहा की आज का युवा अंगिका भाषा को महत्व महोत्सव के तौर पर दे रहे हैं आशा है की ऐसे ही प्रत्येक वर्ष अंगिका महोत्सव को मनाया जाए तो बेहतरीन होगा। वहीं गायन, नृत्य, नाट्य व काव्य सत्र मंच संचालन कर रहे कुमार गौरव ने अंगिका भाषा की महत्ता देते हुए कहा की प्राचीन अंग प्रदेश की भाषा का नाम ही अंगिका है। अंगिका आर्य भाषा परिवार की सदस्य है भाषायी दृष्टिकोण पर भागलपुरी इसकी स्थानीय राजधानी के कारण पड़ा। इसके अलावा अंगिका को अंगी, अंगीकार, चिक्का-चिकी और देशी, दखनाहा, मंगेरिया, देवघरिया, धरमपुरिया इत्यादि उपनामों से जाने जाते हैं। साथ ही मितिलेश आनंद ने यह कहा की अंगिका साहित्य का अपना समृदध इतिहास रहा है और आठवीं शतावदी के कवि सरह को अंगिका साहित्य में सबसे ऊँचा दर्जा प्राप्त है। हम सभी के सार्थक
प्रयास से बहुत जल्दी भारतीय सामविधान की आठवीं अनुसूची में भी शामिल किया जाएगा। अंगिका महोत्सव में सभी अतिथियों के लिए शाकाहारी व्यंजन का भी प्रबंध किया गया था। अंत में फ़िल्म प्रदर्शन व फ़ैशन शो के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया।