अंगिका विभाग को जल्द मिलेगा अपना नया भवन।
-Editorial
इंटरनेट कभी भी किताबों का विकल्प नहीं हो सकता ,किताबें आखें खोलती हैं।आज के समय में ना शिक्षक किताब पढ़ने वाले मिलते हैं और न हीं छात्र ।सब कुछ इंटरनेट से ही प्राप्त करना चाहते हैं। अगर ऐसी ही स्थिति बनी रही तो कुछ वर्षों में ना पढ़ाने वाले बचेंगे न ही पढ़ने वाले। इसलिए पहले तो शिक्षकों को ही पढ़ना चाहिए तभी अच्छी पीढ़ी तैयार हो पाएगी ,सभ्य शिक्षित समाज का निर्माण हो पाएगा । अंग की भूमि राष्ट्रकवि दिनकर की कर्मभूमी है ,जो यहां कुलपति रहे , कविगुरु रविंद्र की भूमी है जिन्होंने यहां गीतांजली के कुछ अंश लिखे ।इसलिए यह क्षेत्र साहित्य की दृष्टिकोण से काफी उर्वर है। बहुत से अच्छे साहित्यकार यहां हैं जिन्हें एकत्रित कर विश्वविद्यालय परिवार सम्मानित करेगा । उक्त बातें मंगलवार को तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो डा जवाहर लाल ने विश्विद्यालय हिंदी एवम अंगिका विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित पुस्तक मेला के उद्घाटन के अवसर पर कहा ।वहीं तिलकामांझी विश्वविद्यालय के कुलसचिव गिरिजेश नंदन प्रसाद ने कहा कि अपनी संस्कृति और संस्कार को जीवित रखने के लिए अच्छी पुस्तकों का संरक्षण जरूरी है , इसके अभाव में हमारी संस्कृति समाप्त हो जाएगी।
मानविकी के संकायाध्यक्ष उदय कुमार मिश्रा ने कहा कि अंगिका का संरक्षण और संवर्धन तभी संभव है जब इंटर और स्नातक स्तर पर अंगिका की पढ़ाई होगी ।स्नातक स्तर पर पढ़ाई के लिए प्रस्ताव सीनेट से पास कराकर राज्यपाल को भेज दिया गया है।इस अवसर पर अंगिका विभाग के द्वारा कुलपति डा जवाहर लाल ,डीन उदय कुमार मिश्र ,कुलसचिव गिरिजेश नंदन कुमार ,डी एस डब्लू सह हिंदी एवं अंगिका विभाग के पूर्व अध्यक्ष डा योगेंद्र एवं हिंदी की वरिष्ठ साहित्यकार समाजसेविका डा सुजाता चौधरी का सम्मान समारोह आयोजित किया गया। इसके पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रकवि दिनकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर एवम फीता काटकर किया गया।अंगिका विभाग की छात्रा सरस्वती,निशा ,बबिता ,राजनंदनी एवं रुक्मिणी ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया ।अंगिका विभाग के विभागाध्यक्ष डा गौतम कुमार यादव ने कुलपति महोदय को वर्ग कक्ष का अभाव,उपस्कर का अभाव ,प्रसाधन एवम पेयजल की सुविधा अभाव आदि समस्याओं से अवगत कराया ,जिसपर तत्काल संज्ञान लेते हुए कुलपति ने वर्तमान सभाकक्ष को वर्ग कक्ष में तब्दील करने , जल्दी ही नए भवन आदि निर्माण कराने ,की सहमति दी, एवं अंगिका की पुस्तकें खरीद के लिए तत्काल कुलसचिव को एक लाख रुपए का चेक देने का आदेश दिया।
कार्यक्रम में हिंदी की गोल्ड मेडलिस्ट रुची अनुपम को गोल्ड मेडल भी प्रदान किया गया साथ ही दिनकर बुक क्लब का भी उद्घाटन किया गया ।राजनीति विज्ञान की प्राध्यापिका रूचि कुमारी ने बताया कि इसमे कोई भी व्यक्ति अपनी पुस्तकें दान कर सकते हैं ताकि किसी आर्थिक रूप से कमजोर छात्र-छात्राओं को वहां से निःशुल्क पुस्तकें प्राप्त हो सकें।
मौके पर अंगिका विभाग की प्राध्यापिका डा शोभा कुमारी ,अनिल कुमार ,पूर्व वाणिज्य कर अधिकारी कैलाश ठाकुर,साहित्यकार अनिरुद्ध प्रसाद विमल ,हीरा हरेंद्र,ब्रह्मदेव नारायण सत्यम,सुधीर कुमार प्रोग्रामर,अनिरुद्ध प्रभाष,शीतांशु अरुण,कपिलदेव ठाकुर कृपाला,अंजनी कुमार सुमन,गीतकार राजकुमार उलूपी झा, अंगिका विभाग के छात्र युवा कवि कुमार गौरव , सुजीत संगम , राजनंदनी ,आशा,ललिता,बबिता ,रुक्मणि सरस्वती ,सहित दर्जनों छात्र छात्राएं उपास्थित थे।कार्यक्रम का विधिवत संचालन हिंदी विभाग के प्राध्यापक दिव्यानंद ,अंगिका विभाग के विभागाध्यक्ष डा गौतम कुमार यादव,एवं डा शोभा कुमारी ने किया।मौके पर अनिरुद्ध प्रसाद विमल कृत दलदल पुस्तक का लोकार्पण भी उपस्थित अतिथियों के द्वारा किया गया। धन्यवाद ज्ञापन हिंदी विभाग के नवनियुक्त प्राध्यापक डा मंजीत सिंह किनवार के द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।