Highlights
- राज्यों पर बकाया है बिजली कंपनियों का भुगतान
- पीएम ने राज्य सरकारों से किया भुगतान का आग्रह
- कंपनियों का 2.5 लाख करोड़ राज्यों के पास बकाया
PM Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य सरकारों से बिजली कंपनियों के बकाया का भुगतान करने का शनिवार को आग्रह करते हुए कहा कि अभी तक सब्सिडी कमिटमेंट भी नहीं पूरी की गई है। प्रधानमंत्री ने एक कार्यक्रम में कहा कि बिजली उत्पादन और डिस्ट्रिब्यूशन से जुड़ी कंपनियों का करीब 2.5 लाख करोड़ रुपया राज्यों के पास बकाया है। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश को ये जानकर हैरानी होगी कि अलग-अलग राज्यों का 1 लाख करोड़ रुपए से अधिक का बकाया है। ये पैसा उन्हें पावर जेनरेशन कंपनियों को देना है।
बिजली कंपनियों का ढाई लाख करोड़ रुपया फंसा
प्रधानमंत्री ने कहा कि पावर डिस्ट्रिब्यूशन कंपनियों का कई सारे सरकारी विभागों पर, स्थानीय निकायों पर भी 60 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक बकाया है। पीएम ने कहा कि अलग-अलग राज्यों में बिजली पर सब्सिडी का जो कमिटमेंट किया गया है, वो पैसा भी इन कंपनियों को समय पर और पूरा नहीं मिल पाता। ये बकाया भी 75 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक का है। यानि बिजली बनाने से लेकर घर-घर पहुंचाने तक का ज़िम्मा जिनका है, उनका लगभग ढाई लाख करोड़ रुपया फंसा हुआ है।
ग्राहक चुका रहे बिल, तो राज्यों का बकाया क्यों?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जिन राज्यों के ड्यूस पेंडिंग हैं, मेरा उनसे आग्रह है कि वे जितना जल्दी संभव हो सके, इन्हें क्लियर करें। साथ ही उन कारणों पर भी ईमानदारी से विचार करें कि जब देशवासी ईमानदारी से अपना बिजली का बिल चुकाते हैं, तब भी कुछ राज्यों का बार-बार बकाया क्यों रहता है? पीएम नरेंद्र मोदी ने आगे कहा, “हमारे डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर के घाटे डबल डिजिट में हैं। जबकि दुनिया के विकसित देशों में ये सिंगल डिजिट में है। इसका मतलब ये है कि हमारे यहां बिजली की बर्बादी बहुत है और इसलिए बिजली की डिमांड पूरी करने के लिए हमें ज़रूरत से कहीं अधिक बिजली पैदा करनी पड़ती है।”
पीएम बोले- बिजली की किल्लत अतीत की बात
पीएम ने कहा कि देश को ये जानकर हैरानी होगी कि अलग-अलग राज्यों का 1 लाख करोड़ रुपए से अधिक का बकाया है। उन्होंने ‘उज्ज्वल भारत उज्ज्वल भविष्य’ समारोह के समापन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि बिजली की किल्लत का दौर अब अतीत की बात हो गई है और बीते आठ सालों में करीब 1.70 लाख मेगावाट बिजली की अतिरिक्त क्षमता का सृजन हुआ है।